(जीवन) यात्रा!

कहाँ जाओगे साहब?

मंदिरों की तरफ जाएगी ये बस? हाँ साहब , पूरे रूट पे सिर्फ हमारी बस चलती है, आओ बैठ जाओ, बस ३५ किलोमीटर है यहाँ से, रोज आपके जैसे कई टूरिस्ट आते हें, मंदिरों तक जाते हें, दो घंटा घूमो फिरो, फिर इसी बस में वापिस|

हाँ चलो, कैसा अजीब [...]

(भोंदू) गोपाल

कहानी समझ आई? नहीं आएगी तेरी समझ में, तू जा, घर जा, खुश रह तेरे बस के होगी तो बुला लेंगे, और चौबारे पे बैठे सब लोग हंसने लग पड़े|

वो समझ नहीं पाया की क्यूँ हंस रहे थे, वो भी हँसता हँसता घर चला गया अपने, नाम गोपाल था उसका, मोहल्ले वालों ने भोंदू [...]