बहुत पहले, कभी कॉलेज टाइम में पढ़ा था की जैसे अमेरिका में ‘नियाग्रा फाल्स’ हैं, हिंदुस्तान में भी चित्रकोट के फाल्स हैं, कहीं बस्तर के जंगलात में | और छत्तीसगढ़ जाने से पहले तो मैं यही सोचता था की बस्तर का मतलब या तो नक्सली या घनघोर जंगल | लेकिन चित्रकोट फाल्स प्रकृति का एक बेहतरीन करिश्मा है, जिसे बरसात में देखने वाले को पक्का ‘ट्रेवल -मोक्ष’ मिल जाएगा |
चित्रकोट फाल्स को भारत का नियाग्रा फाल्स कहते हैं , क्यूँ कहते हैं उसमे मुझे कोई तर्क नहीं दीखता | क्यूंकि नियाग्रा फाल्स ‘नियाग्रा फाल्स’ है , और चित्रकोट फाल्स भारत का चित्रकोट फाल्स है – ‘प्लेन एंड सिंपल’ | क्यूँ कर हर चीज को बाहर देश से तुलना किया जाए, ये समझ से परे है | बस्तर के जंगलों में स्थित चित्रकोट फाल्स इंद्रावती नदी पर हैं, जो कि मानसून में एकदम समंदर सा आभास देती है | बोलने के लिए तो ये जलप्रपात सिर्फ 91 फीट कि ऊंचाई से गिरता है, लेकिन चौड़ाई में ये किसी उफनती नदी से कम नहीं दीखते | जैसे धुआंधार फाल्स बरसात में धुआंधार हो जाते हैं, वही हाल यहाँ चित्रकोट में भी हो जाता है |
1- पढ़ें अमरकंटक एक्सप्रेस | 2- पढ़ें भेड़ाघाट धुआंधार फाल्स | 3 – पढ़ें सतपुड़ा के जंगलों से के गढ़ बस्तर तक 4 – पढ़ें मंदिरों और तालाबों का शहर – बारसुर
साथ ही में एक छत्तीसगढ़ पर्यटन का शानदार होटल है, लेकिन वहाँ सिर्फ अमीर लोग ही जा सकते हैं, ऐसा मैंने अनुमान लगाया है | उस बड़े होटल के अलावा ठहरने का कुछ ख़ास प्रबंध है नहीं | बारसूर से भी एक सड़क आती है जो सीधी चित्रकोट लेके आती है , लेकिन उस सड़क पे बस ‘टाइम टाइम’ से चलती है, और छत्तीसगढ़ कि ‘टाइम’ से चलने वाली बस का मतलब है अपने टाइम की बर्बादी |
जैसे हिमाचल की प्राइवेट बसें सवारियों को घरों से उठा उठा के लाती हैं, उसी तरह छत्तीसगढ़ की ‘छोटी प्राइवेट’ बसें भी सवारियों को घरों से , घाटों से, खेतों से उठा उठा के लाती हैं | कोई नहा – धो रहा हो तो उसका इन्तेजार भी कर लिया जाता है | तो भावार्थ ये है की छोटी बस में तभी बैठा जाए जब जान पे बन आयी हो अन्यथा पैदल चलना ज्यादा लाभकारी है |
हम लोग क्यूंकि भुक्तभोगी रह चुके थे, हम ने तुरंत से जगदलपुर का रुख किया और बड़ी बस में स्लीपर का टिकट खरीद कर के लम्बे पड़ के चित्रकोट पहुंचे | अगर छोटी बस में समस्या है तो बड़ी बस में भी है, और बड़ी बस में समस्या है की अगर आपने स्लीपर का टिकट न लेकर सीट का टिकट लिया है तो एक सीट में डेढ़ से ढाई आदमी बिठा दिए जाते हैं, और सर्दी के मौसम में भी गर्मी का एहसास हो जाता है |
चित्रकोट पहुँचते ही सबसे पहले बोटिंग कराने वाले को पकड़ा गया और ये एकदम झरने के बगल से बोट निकाली गयी | आस पास के गाँव से वनवासी लोग बोटिंग कराने का काम करते हैं और ज्यादा पैसे भी नहीं उनको मिलते | पढ़े लिखे बहुत कम मिलेंगे और दादा लोग (नक्सली) से सब परेशान | हमारी किश्ती वाले का नाम था ‘दामू’, उम्र यही कोई 20 – 21 साल | बातों बातों में दामू ने बताया की हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी है और छत्तीसगढ़ का मुख्या मंत्री अजीत जोगी |
छत्तीसगढ़ को वैसे तो ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है क्यूंकि यहाँ चावल सबसे ज्यादा उगता है, लेकिन एक बात नहीं समझ आयी की अगर धान ही धान है सबके पास, तो एक रूपया किलो देने का और सब्सिडी देने का क्या मतलब है?
खैर यहाँ से चल निकले हम लोग डोंगरगढ़ की और, जो की प्रसिद्द है गोंड शैली में बनाये हुए बंबलेश्वरी मंदिर के लिए | गोंड एक वनवासी समुदाय है जिनका कभी डोंगरगढ़ पर साम्राज्य हुआ करता था | करीब हजार सीढ़ियां चढ़ने के बाद बंबलेश्वरी मंदिर में पहुंचा जाता है, और यहाँ देखने के लिए कुछ ख़ास है भी नहीं| और यहाँ से अंदर या बहार जाने के लिए सिर्फ छोटी ही बस मिलती है जिसका मतलब है मौत का सामान | पचीस की सवारी में पांच सौ पचीस लोग बिठा लिए गए और हम भी निकल लिए अपने अगले पड़ाव की और | वो तो भला हो की छत्तीसगढ़ की सड़कें एकदम चकाचक हैं इसलिए बसों में घूमने की हिम्मत बची रही |
छत्तीसगढ़ में अगर एक समस्या नक्सलवाद की है तो दूसरी समस्या है धर्मान्तरण की | गरीब लोगों को कुछ पैसे ले दे के ईसाई बना दिया जाता है | और पैसे मिलने का हिसाब भी ऐसा की हर शुक्रवार चर्च में आओ और पैसे पाओ | पहले गरीबों को राजाओं ने लूटा, फिर अंग्रेज़ों ने, फिर सरकारों ने, और अब फिर से अँगरेज़ आ गए | जैसे कभी अफ्रीका में ‘हब्शियों’ के पास पहले पेड़ थे और बाद में सिर्फ बाइबल, यहाँ बस्तर में भी पहले इनके पास जंगल – पहाड़ थे, और अब न जंगल और न ही बाइबल | बस नंगे पाँव फटेहाल घूम रहे हैं आदिवासी बस्तर की सडकों पर गले में जीसस क्राइस्ट का क्रॉस लटका कर |
आज इतना ही |
अगला पड़ाव – छत्तीसगढ़ में खजुराहो – भोरमदेव मंदिर
Superb… esp that slight hint of a rainbow…
Great analysis Tarun, both about the waterfall and the evil designs of missionaries.
Its awe inspiring Tarun. For me it was like discovering an unknown universe !!!!
Bastar is truly the Kashmir of Chattisgarh!
Thanks a lot for sharing this superb info. Fan of you 🙂
Keep it up buddy.
चित्रकोट जलप्रपात अद्भुत है और डोंगरगढ का बम्लेश्वरी मंदिर किसी गोंड शैली का नही है। क्योंकि मंदिर निर्माण की कोई शैली इस तरह की नहीं है। 🙂
Bhai aisa church hame bhi batawo jaha her Friday jane per paise milta hai. Jarur batana mujhe mai berojgar hu.