बच्ची पूरे हॉल में घूम के वापिस चली गयी | सब लोग बात कर रहे थे की बच्चे कितने मासूम होते हैं और कैसे उनकी मासूमियत खो जाती है वक़्त के साथ, समाज के साथ|
थोड़ी देर में वही बच्ची अपनी माँ की बनियान, जिसे अंग्रेजी में ब्रा कहते हैं, बनियान की जगह अपने सिर पे रख कर आ गयी| बाप ने फोन छोड़ के अपनी बीवी की तरफ देखा और बच्ची की तरफ लपका | बच्ची भाग के माँ के पास चली गयी, माँ ने ब्रा ऐसे उठाई जैसे कोई बोम्ब हो और पल भर में फट पड़ेगा, मेहमान महिला का चेहरा लाल हो गया और छोटी बच्ची की माँ उसे मारती हुई अन्दर वाले कमरे में ले गयी|
मेहमानों की लड़की बीजी थी अपने फेसबुक प्रोफाइल के लाइक्स और काम्मेंट्स गिनने में, उसने भी शायद एम्बेरेस्मेंट से बचने के लिए मोबाईल में मुहं घुसा लिया था |
बच्ची की माँ ने ब्रा इस तरह पकड़ रखी थी हाथ में , जैसे कोई खून सना खंजर हो, एकदम छुपा के |
और बच्ची रोते हुए बस यही कह रही थी, मैंने क्या किया, मैं तो फोटो खिंचवाने आई थी ममा|
पर बच्ची कहाँ जानती थी की होती तो ब्रा भी बनियान ही है, पर उसके साथ कुछ रहस्यमयी ख़यालात जुड़ गए हैं आज के समाज में|
The plot was very captivating and so was the description of bra being hidden and snatched off. Leaves me in deep thoughts !!
excellent writing ……behad khoobsoorat ………aise hi likhte rahiye …..kuchh naya ….kuchh unusual ……loved this one
अक्सर घरों मे होने वाला छोटा सा वाक्य, बहुत खूबसूरती के साथ लिखा । बहुत खूब!