(भोंदू) गोपाल

कहानी समझ आई? नहीं आएगी तेरी समझ में, तू जा, घर जा, खुश रह तेरे बस के होगी तो बुला लेंगे, और चौबारे पे बैठे सब लोग हंसने लग पड़े|

वो समझ नहीं पाया की क्यूँ हंस रहे थे, वो भी हँसता हँसता घर चला गया अपने, नाम गोपाल था उसका, मोहल्ले वालों ने भोंदू रख दिया था, अक्ल जरा कम थी उसमें, ऐसा मोहल्ले वाले कहते थे और वक़्त के साथ उसके माँ बाप ने भी यही मानना शुरू कर दिया था | भोंदू गोपाल को ये बात समझ नहीं आती थी की अक्ल तोलने का पैमाना क्या है|

चौबारे पे बात हो रही थी ग्लोबल वार्मिंग की, कैसे लोग गाड़ियाँ चलानी बन्द कर दें और कैसे दुनिया का भला हो, कैसे आने वाली नसल सुखी रहे|  भोंदू गोपाल अपनी ९ से ५ की क्लर्क की नौकरी करके वापिस आ रहा था, उसने भी सुन लिया की गाडी चलाना, हर एक आदमी का गाड़ी चलाना   दुनिया के भले के लिए ठीक नहीं है, इससे कुछ गड़बड़ हो जाएगी हवा में, पानी में| बड़े लोग अपने शौक के लिए चार पांच गाड़ियाँ रखते हें और उससे देश दुनिया का बेडा गरक हो जाता है, इन्सान को दूसरों के लिए भी सोचना चाहिए| दुनिया का बेडा गरक हो जाएगा ऐसे तो |

 उसे चिंता होने लगी, शादी थी उसकी अगले महीने और उसने हाल ही में टाटा नेनो के लिए लोन अप्प्लाई किया था, पर अब उसे चिंता होने लगी की उसके गाड़ी चलाने से देश और दुनिया का नुकसान हो जाएगा | उसने जानने की कोशिश की, भीड़ में बैठे अपने स्कूल के प्रिन्सिपल जीजाजी से पुछा, उन सबने उसकी तरफ देखा और ठहाके मरने शुरू कर दिए, पर भोंदू तो भोंदू ठहरा, उसने बात दिल पे ले ली|

पूरी रात अकेले सोचने के बाद, अपने प्रिन्सिपल जीजाजी  के ज्ञान की इज्जत रखते हुए गाड़ी खरीदने का इरादा त्याग दिया, उसे भी दुनिया की चिंता है, ये सोच के वो सो गया, सुख-चैन की नींद, आखिरकार दुनिया की  आने वाली नस्लों को बचा जो लिया था उसने|

अगले दिन सुबह प्रिंसिपल जीजाजी शादी की तैयारियों का जायजा लेने के लिए आये , भोंदू भी आ गया बताने के लिए की क्या कैसा चल रहा है| पर प्रिंसिपल अक्सर किसीकी बात नहीं सुनते, तो उन्होंने भी नहीं सुनी, भोंदू तो मूरख ठहरा, मूरख की बात वैसे भी कोई नहीं सुनता|

जीजाजी शेखी बघार रहे थे, की कल गाड़ी ले रहे हैं नयी, अब उनके घर में भी दो गाड़ियाँ हो जायेंगी| एक से स्कूल जाया करेंगे और एक से घूमने-फिरने|

भोंदू परेशान हो गया, की कल तो कुछ और कह रहे थे जीजाजी, और खुद ही दूसरी गाड़ी की बात|  पर जीजाजी दुनिया तो ख़तम होने वाली है ना, ग्लोबल वार्मिंग से, आप गाड़ी ले लोगे तो मेरी शादी से पहले ही ना ख़तम हो जाए |

अरे इतनी जल्दी नहीं ख़तम होने की ये दुनिया, तू घबरा मत| तेरी शादी में मेरी नयी गाड़ी में चलेंगे बरात लेके| और हाँ तू भी अपनी गाड़ी के लोन के कागज़ साइन करवा लियो मुझसे कल दफ्तर में आके, जीजाजी ने फरमान जारी किया|

पर मैं अब गाड़ी नहीं ले रहा हूँ, मैंने बैंक वालों  को मना  कर दिया है लोन के लिए| आप ही ने तो कहा था की दुनिया का बेडा गरक हो जाएगा ऐसे तो |

अबे बिना गाड़ी के ससुराल जाएगा तो हमारी क्या इज्जत रह जाएगी? बस से लेके जाएगा नयी बहु को? आदमियों की तरह अक्ल लगा लिया करो कभी | कुछ तो सोच लिया करो कभी? कुछ खानदान की इज्जत का तो सोच लिया करो| दिमाग चलता है तुम्हारा या नहीं? लोग क्या कहेंगे? तुम्हारे होते खानदान की इज्जत का बेडा गरक होते देर नहीं लगेगी| अबे यार, जहाँ अक्ल लगनी हो वहां लगाया करो, कुछ बातें सिर्फ कहने की होती हैं, पर तुम नहीं समझोगे, “अक्ल” नहीं है तुम्हारे पास|

भोंदू सोच विचार में पड़ गया की दुनिया को बचाए या खानदान की इज्जत?

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