सुबह ६ बजे का अलार्म बजता है और वो एकदम से अधपकी नींद में उठ जाती है|
मुझे लगा की जैसे कोई बम फटा, मैं ४ बजे सोया था रात को, दो घंटे बाद अलार्म बजेगा तो यही लगेगा की बम फट गया|
वो रात को शायद १२ बजे सोयी थी, एनीमल फार्म पढ़ के, एक ही दिन में ख़तम करके|
जब थोड़ी देर हो गयी तो मुझे उठाया गया, की भाई उठ जा, ८ बज गए हें, मैं स्कूल जा रही हूँ, चाय पि लो, खाना फ्रिज में रख दिया है|
मैं दस बजे उठा, खाना खाया, फिर से सो गया|
दोपहर में उसने आके खाना बनाया, मैंने खाया, बर्तन साफ़ किये और फिर सो गया|
वो शाम को पढ़ा के आई, खाना बनाया, फिर १२ बजे, फिर ६ बजे |
रिजल्ट से याद आया, नवोदय में सीनियर टीचर को हाउस मास्टर बनना पड़ता है, यानी की हॉस्टल में जाओ, खाना चखो, देखो अच्छा बना है या नहीं, बच्चों की हाजिरी लो, देखो सबने खाया या नहीं, जिसने नहीं खाया तो पूछो की क्यूँ नहीं खाया, बीमार है तो दवाई दो| इस सबके बाद भी अगर रेग्गिंग होती है तो कमेटी को बताओ की भैया रेग्गिंग क्यूँ हुई, उसने उसको क्यूँ पीटा| कई बार नौकरी भी चली जाती है |
इस सबके बीच वो नहीं भूलती की लेक्चर तैयार करना है|
मैं पूछता हूँ, लेक्चर की जरुरत क्या है, कितने साल से पढ़ा रही हो|
वो कहती है, उसे सब आता है क्यूंकि उसे १५ साल हो गए हैं पढ़ते हुए, पर बच्चा, हर एक बच्चा पहली बार +१ , +२ में आया है, उसको उसीके लेवल पे जाके समझाना पड़ेगा|
और ये काम बड़ा मुश्किल है, अपने से कम समझ वाले के लेवल पे जाना, जब आप एक्सपर्ट हो, बड़ा मुश्किल काम है, और अगर ये काम हर रोज, हर दिन करना हो, अपनी expertise मेंटेन करते हुए, तो सही में काम मेहनत का है |
स्कूल हमारी इंसानियत के, हमारी सभ्यता के, हमारी जिंदगी के सबसे महत्वपूरण पहलू हैं, मैं विद्यालयों को माँ बाप से भी ऊपर मानता हूँ, जो अच्छे स्कूल में, एक अच्छे टीचर से पढ़ गया, वो आदमी राजा बन जाता है| शिक्षा का अर्थ है निडर बनाना , आत्म विश्वास जगाना |
ओशो कहता है की , सा विद्या या विमुक्तये यानी की शिक्षा वो है जो इन्सान को लिबेरेट कर दे, मुक्त कर दे, गगन में उड़ने की ताकत दे दे| पर हमारी विद्या, मेरी और आपकी, वो हमें निडर बना पायी है? कोई इंजिनियर बन गया, कोई डाक्टर बन गया, कोई मेनेजर बन गया, पर डर? पर क्या डर चला गया दिल से? किसी और से पीछे छूट जाने का डर? अगर नहीं तो विद्या बेकार हो गयी| और हर साल कितने हजार लोग इंजिनियर डॉक्टर बनते हैं, इतनी विद्या एक साथ बेकार हो जाना, गंभीर बात है |
टीचर होना , एक अच्छा टीचर होना बड़ा मुश्किल काम है, क्यूंकि कई बार बीमारी [पढ़िए] आ जाती है, शरीर साथ नहीं देता, पर फिर भी, इस सबके बावजूद एक अच्छा टीचर बने रहना बड़ा मुश्किल काम है |
और वो, वो इस काम को निभा रही है बखूबी, कितने सालों से|
इसी बीच फिर से छह बज जाते हैं, अलार्म बजता है और वो निकल जाती है, एक ऐसे मिशन पे, जिसको ना परम वीर चक्र मिलेगा, ना २१ तोप की सलामी, बस [शायद] कोई बच्चा मिलेगा, १५-२०-२५ साल बाद, जो कहेगा की मैडम, आप जैसा टीचर कहीं नहीं मिला |
P.S.: This is story of my sister. I have tried very very hard not to sound biased. She is indeed a very good teacher. The best I could ever dream of.
Teachers who r dedicated n love their work are difficult to find…today if v remember any teacher frm our school life, it is because of two reasons-tumhe banda bana diya ya vo champu ch**** tha…wud luv to meet ur sister…aur haan yaad aaya hwz didi nw????
-क्या खूब लिखा है …दिल के करीब लिखा है ….खूब सूरत लेखन ….तरुण जी …आप हिंदी में ही लिखा करें …..आजकल मैं teachers के ही साथ काम कर रहा हूँ …उनकी workshops लेता हूँ ……teaching methods पे …और बहुत कुछ ……..सारा focus सिर्फ एक बात पे रहता है …….की हर बच्चा talent से भरा है …..किसी दिन वो सारा talent बाहर आएगा ……have patience …..dont haress them for not performing today ….
Commendable .Salute to teachers like your sister .